Monday 22 October 2018

اویناش امن کی غزل - طوفاں کو پہلے سر سے گزرنے تو دیجئے (अविनाश अमन की ग़ज़ल - तूफाँ को पहले सर से गुजरने तो दीजिये)

غزل / ग़ज़ल 



طوفاں کو پہلے سر سے گزرنے تو دیجئے
لہروں سے کشتیوں  کو ابھرنے  تو دیجئے
तूफाँ को पहले सर से गुजरने तो दीजिये
लहरों से कश्तियों को उभरने तो दीजिये

پہلےکہ اس سے کیجئے زلفوں  کی سجاوٹ 
رنگت  ابھی گلوں  کی   نکھرنے تو دیجئے
पहले के इस से कीजिये ज़ुल्फ़ों की सजावट
रंगत अभी गुलों की निखरने तो दीजिये

ہم آپکی دنیا سے چلے جایں گے مگر
بستی یہ پہلے دل کی بکھر نے تو دیجئے
हम आपकी दुनिया से चले जायेंगे मगर
बस्ती ये पहले दिल की बिखरने तो दीजिये

مرہم تلاش لیں گے کہیں آپ ہی میں ہم
تکلیف پہلے حد سے گزرنے تو دیجئے
मरहम तलाश लेंगे कहीं आप ही में हम
तकलीफ पहले हद से गुजरने तो दीजिये

ہم بھی سنیں گے انکی جفاؤں  کی داستان
وعدے سے پہلے انکو مکرنے  تو دیجئے
हम भी सुनेंगे उनकी जफ़ाओं की दास्तान
वादे से पहले उनको मुकरने तो दीजिये

تبدیلیوں کا شوق بھی اتنا ہے کیا حضور
-حد نگاہ کچھ بھی ٹھہرنے تو دیجئے
तब्दीलियों का शौक़ भी इतना है क्या हुज़ूर
हद्दे निगाह कुछ भी ठहरने तो दीजिये.
....
شیر - اویناش امن
शायर - अविनाश अमन
aman.avinash09@gmail.com - शायर का ईमेल आइडी شیر کا ایمیل آئیدی

اویناش امن اردو اور ہندی کے بہت اچچھے شیر اور مصنف ہیں جنکی کی کتابیں پبلش ہو چکی ہیں.  - شیر کا تعارف
शायर का परिचय- अविनाश अमन उर्दू और हिंदी के अच्छे शायर और लेखक हैं जिनकी कई किताबें प्रकाशित हो चुकी हैं.






Thursday 18 October 2018

عکس سمستیپوری کی گزل - محفل میں نام اس کا پکارا گیا تھا اور / अक्स समस्तीपुरी की ग़ज़ल - महफ़िल में नाम उसका पुकारा गया था और






دن رات اسکے ہجر میں دیمک لگے لگے
دل کے تمام خانے مجھے کھوکھلے لگے

दिन रात उसके हिज्र का दीमक लगे लगे
दिल के तमाम ख़ाने मुझे खोखले लगे 


محفل میں نام اس کا پکارا گیا تھا اور
سب لوگ تھے کہ میری طرف دیکھنے لگے

महफ़िल में नाम उसका पुकारा गया था और
सब लोग थे कि मेरी तरफ देखने लगे 


افسوس فکر جاں ہی نہیں رہتی ہے ہمیں
افسوس آپ جان ہمیں ماننے لگے

अफ़सोस फ़िक्र-ए-जां ही नहीं रहती है हमें
अफ़सोस आप जान हमें मानने लगे 


جو کہتے تھے کوئی تجھے ٹھکرا نہ پائیگا
جب بات خود پہ آئی تو وہ سوچنے لگے

जो कहते थे कोई तुझे ठुकरा न पाएगा
जब बात ख़ुद पे आयी तो वो सोचने लगे


میں آج تک نہ ٹھیک سے خود کو سمجھ سکا
اک ہی دفا میں آپ مجھے جاننے لگے

मैं आजतक न ठीक से ख़ुद को समझ सका
इक ही दफ़ा में आप मुझे जानने लगे !
......

शायर- अक्स समस्तीपुरी 
 شیر- عکس سمستیپوری-
Link of the poet- Click here






Tuesday 9 October 2018

(ہیمنت داس ہم کا نغمہ - تم آئے تو ایسا لگا) तुम आए तो ऐसा लगा - हेमन्त दास 'हिम' का नग़मा

(Niche iss nagame ka video link bhi diye gaye hain. Dekhiye)


تم آئے تو ایسا لگا
دھوپ میں شیتل پون بہا
तुम आए तो ऐसा लगा
धूप में शीतल पवन बहा  
( شیتل پون = سردی ہوا शीतल पवन)

پتے پٹتے پٹتے پھول و خوشبو
پیارا پیارا ہر لمحہ
पत्ते पत्ते, फूल व खुशबू
प्यारा प्यारा हर लम्हा

روشنی میں ہوئے پرہے
تم کا اپنا سا ہے مزہ
रोशनी में हुए पराये
तम का अपना सा है मजा
(تم  اندھیرے तम)

ندی کے بہتے پانی پر
ہم نے لکھ ڈالا قصّہ
नदी के बहते पानी पर
'हिम' ने लिख डाला क़िस्सा

ہر پل میں ہے نی ترنگن
.تھرکا کر تو و متوا
हर पल में है नई तरंगें
थिरका कर तू ओ मितवा.
................
कवि- हेमन्त दास 'हिम'
شاعر - ہیمنت داس 'ہم
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