Monday 28 May 2018

डॉ. रामनाथ शोधार्थी की ग़ज़ल - प्यारे इस प्यार का मज़: है अलग (پیارے اس پیار کا مزہ ہے الگ)

प्यारे इस प्यार का मज़: है अलग
 (پیارے اس پیار کا مزہ ہے الگ)



प्यारे इस प्यार का मज़: है अलग
ग़म-ए-दिलदार का मज़: है अलग
پیارے اس پیار کا مزہ ہے الگ
غمِ دلدار کا مزہ ہے الگ
प्यारे इक़रार का मज़: है अलग
और इनकार का मज़: है अलग
پیارے اقرار کا مزہ ہے الگ
اور انکار کا مزہ ہے الگ
पूरी दुनिया हसीन है लेकिन 
तेरे दीदार का मज़: है अलग

پوری دُنیا حسین ہے لیکن
تیرے دیدار کا مزہ ہے الگ
मान मत जाना रूठकर फ़ौरन
क्योंकि इसरार* का मज़: है अलग * हठ/ज़िद करना
مان مت جانا روٹھ کر فوراً
کیونکہ اصرار کا مزہ ہے الگ
सज्द-ए-रब का लुत्फ़ अलग है मियां
सज्द-ए-यार का मज़: है अलग
سجدہِ رب کا لطف الگ ہے میاں
سجدہِ یار کا مزہ ہے الگ
गुफ़्तगू करके देख ली सबसे
तुझसे गुफ़्तार का मज़: है अलग
گُفتگو کرکے دیکھ لی سب سے
تُجھ سے گفتار کا مزہ ہے الگ
एक बोसे का भी है अपना मज़:
पर लगातार का मज़: है अलग
ایک بوسہ کا بھی ہے اپنا مزہ
پر لگاتار کا مزہ ہے الگ
दिल जो कहता है मैं वो करता हूं
दिल के मेयार का मज़: है अलग
دل جو کہتا ہے میں وہ کرتا ہوں
دل کے معیار کا مزہ ہے الگ
फूल दर फूल का अलग है मज़:
ख़ार दर ख़ार का मज़: है अलग
پھول در پھول کا الگ ہے مزہ
خار در خار کا مزہ ہے الگ
अपना-अपना मज़: है हर शै का
हर ग़ज़लकार का मज़: है अलग
اپنا اپنا مزہ ہے ہر شے کا
ہر غزل کار کا مزہ ہے الگ
'नाथ' देखे हैं बहुतों के अश'आर
तेरे अश'आर का मज़: है अलग
'ناتھ' دیکھے ہیں بہتوں کےاشعار
تیرے اشعار کا مزہ ہے الگ
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शायर- डॉ. रामनाथ शोधार्थी
Poet-  Dr.  Ramnath Shodharthi
Mobile- 096125 01437
Social website-  https://twitter.com/shodharthi
कवि परिचय- डॉ. रामनाथ शोधार्थी प्राणीविज्ञान शास्त्र में पी.एच.डी. हैं लेकिन विशाल जनसमुदाय के बीच अपनी बिलकुल ही अलग तरह की शायरी के लिए जाने जाते हैं. इनकी शायरी एक बयान होती है जो ये समय-समय पर समाज को सम्प्रेषित करते रहते हैं. बहुत कम उम्र में अपनी अलग लीक बनाकर चलनेवाले शायरों और आलोचकों के बीच अपनी अलग पहचान बना पाने में कामयाब हुए हैं. ये अभी अविवाहित हैं.


Friday 11 May 2018

अक्स समस्तीपुरी की ग़ज़ल (عمر بھر سینے میں اک درد دبائے رکھا) उम्र भर सीने में इक दर्द दबाये रक्खा


ग़ज़ल / अक्स समस्तीपुरी (Urdu gazal by Aks Samastipuri)




عمر بھر سینے میں اک درد دبائے رکھا
 ایک بے نام سے رشتے کو نبھائے رکھا

उम्र भर सीने में इक दर्द दबाये रक्खा
एक बेनाम से रिश्ते को निभाये रक्खा

اور اسنے بھی بھرم میرا بنائے رکھا
 آندھیاں شرم سے ہو جائے نہ پانی پانی

था मुझे वह्मो गुमां की वो फ़क़त मेरी है
और उसने भी भरम मेरा बनाये रक्खा


لیکن افسانہ الفت کو چھپائے رکھا
سر یہی سوچ کے پیڑوں نے جھکائے رکھا

आँधियाँ शर्म से हो जाये न पानी पानी
सर यही सोच के पेड़ों ने झुकाये रक्खा

تھا مجھے وہمو گماں کی وہ فقط میری ہے
ویسے ہر بات سے رکھا اسے واقف ہم نے

वैसे हर बात से रक्खा उसे वाकिफ़ हमने
लेकिन अफ़साना-ए-उल्फ़त को छुपाए रक्खा

ایک رشتہ جسے تا عمر نبھائے رکھا
ایک رشتہ جسے میں دے نہ سکا کوئی نام

एक रिश्ता जिसे मैं दे न सका कोई नाम
एक रिश्ता जिसे ताउम्र निभाये रक्खा

کوزہ گر تجھ کو بنانا ہی نہیں تھا جب کچھ
کس لیئے چاک پہ تا عمر چڑھائے رکھا

क़ूजागर तुझको बनाना ही नहीं था जब कुछ
किस लिए चाक पे ता-उम्र चढ़ाए रक्खा

بس یہی سوچ کے اک تیر بچائے رکھا
جیتے جی بات نہ دستار پہ آنے پائے

जीते जी बात न दस्तार पे आने पाए
बस यही सोच के इक तीर बचाये रक्खा


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शायर - अक्स समस्तीपुरी
शायर का ईमेल- 2396arjun@gmail.com
शायर का मोबाइल नम्बर- 7282086736
शायर का पता- ग्राम-नरहान, थाना-विभूतिपुर, जिला- समस्तीपुर, पिन-848211
जनाब अक्स समस्तीपुरी जी का असली नाम अर्जुन कुशवाहा है. ये अभी नवयौवन की अवस्था में होते हुए ही प्रौढ़ शायरी में सिद्धस्त हो चुके हैं. इन्होंने स्नातक तक की पढ़ाई पूरी कर ली है और सरकारी सेवा में उच्च पद पाने के लिए तैयारी कर रहे हैं. फिलहाल ये अविवाहित हैं.

(बाएँ से) समीर परिमल, अक्स समस्तीपुरी, प्रभात सरसिज और प्रत्यूष चंद्र मिश्र